न्यूरोथैरेपी क्या है ?
न्यूरोथैरेपी लगभग 1200 वर्षो पुराना विज्ञान है। इसको डा0 लाजपत राय मेहरा ने शरीर क्रिया विज्ञान से जोड़कर नया रूप दिया है जो एक वैकेल्पिक चिकित्सा पद्वति बन गई है। न्यूरोथैरेपी प्राकृतिक चिकित्सा की थेरेपी है जो हड्डियों, जोड़ो, मांसपेशियों, रक्त एवं लसिका तंत्र एवं नाड़ी तंत्र पर काम करती है यह शरीर के विभिन्न निष्क्रिय अंगो की सक्रियता बढाने में सहायक है।
न्यूरोपैथी, मर्मविज्ञान, एक्युप्रैशर एवं प्रैशर थैरेपी को जोड़कर एक ऐसी थैरेपी तैयार की जिसमें रोगी के शरीर के विभिन्न हिस्सों में निश्चित सेकेण्ड तक पै्रशर देने पर डिजनरेटेड सैल (मृत कोशिकाएं) शरीर से बाहर हो जाती है, और रोग प्रभावित हिस्सें में रक्त का संचरण बढ जाता हैं जिससे पुनरनिर्माण (रिकवरी) की प्रक्रिया में सुघार होता हैं।
इस थैरेपी के माघ्यम से अनेक लोगों को असाघ्य रोगों से छुटकारा दिया हैं और वे नवजीवन जी रहे है। कई ऐसे लोग जो वर्षों से बैड पर थे, इस न्युरोथैरेपी से इलाज पाकर आज स्वस्थ होकर अपना दैनिक कार्य स्वयं कर रहे है।
न्युरोथैरेपी बिना दवा एवं बिना आॅपरेशन के रोग निवारण की प्रभावशाली विधि है जिसका कोई साइड इफैक्ट नही है।
न्यूरोथैरेपी कैसे काम करती है ?
कभी आपके हाथ, पैर, कमर या गर्दन में दर्द होता है तो आप क्या करते हैं? जाहिर है आपका जवाब होगा कुछ नही बस जब हाथ में दर्द है तो हाथ को दबाते है गर्दन में दर्द है तो गर्दन को दायें बायें घुमाते हैं। ऐसा हम इसलिए करते है कि कही न कही हमें ऐसा करने से आराम मिलता हैं। असल में यही वे प्वांटस है जहाँ पर अनुशासित तरीके से नसों पर दबाब या रक्त का प्रवाह निश्चित समय के लिये बढाया जाय तो रोग को दूर करने में वांछित परिणाम सामने आते हैं। यह पुर्ण रूप से शरीर को प्राकृतिक तरीके से ठीक करता है क्योंकि शरीर को ठीक करने की प्राकृतिक शक्ति शरीर में ही होती है।
न्युरोथैरेपीः
- एक वैज्ञानिक और होलोस्टिक ( दैहिक, मानसिक, आत्मिक) उपचार है।
- शरीर की रोग से क्षतिपुर्ति के लिए प्राकृतिक सन्तुलन बनाने मे मदद करती है इस प्रकार शरीर के स्वतः उपचार के लिए प्रेरित करती है।
- सिर्फ बीमारी ही नही बल्कि सम्पूर्ण शरीर क्रिया तंत्र को ठीक करती हैं।
- इसका कोई साइड इफैक्ट नही होता।
- प्राकृतिक जीवन जीने के लिए प्रेरित करती है।
न्यूरोथैरेपी किन रोगों का उपचार करती है ?
गर्दन, कन्धे, पीठ, टाँग, एड़ी तथा पैर का दर्द, गर्दन का दर्द ‘सरवाइकल स्पोन्डीलोसिस’, गर्दन की जकड़न, चक्कर आना
कन्धे का दर्द, कन्धे की जकड़न,, बाजू की नस का दर्द, अंगूठे मे दर्द, जकड़न, कुहनी का दर्द
पीठ दर्द, टाँगो का दर्द, कमर का दर्द, सलिप डिस्क, पैरों की एडि़यों का दर्द, पैर का लकवा, पिण्डिली में ऐंठन, घुटनो का दर्द, सायटिका, कुल्हे तथा जाघ का दर्द
हृदय तथा रक्तसंचार के रोग, श्वास प्रणाली के रोग, दमा, खाँसी, फेफड़ो की बीमारियाँ, छाती की हड्डियों का दर्द
पाचन तंत्र के रोग, लिवर के रोग, पिताशय के रोग, पेट गैस, पेट दर्द, नाभिचक्र का ठीक नही रहना, जोड़ो, हड्डियों, मांसपेशियो के रोग
नसों में दर्द, मस्तिष्क तथा स्नायु तंत्र के रोग, लकवा, सेरेब्रल पलसी, पारकिनसन डिसीज, मिरगी, माइग्रेन